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2025 मैं समझिए रेपो रेट क्या है? आसान भाषा में

रेपो रेट क्या है? आसान भाषा में समझें

2025 मैं समझिए रेपो रेट क्या है? आसान भाषा में

क्या आपने कभी सोचा है कि बैंक आपको जो लोन देते हैं, उसका ब्याज दर (interest rate) कैसे तय होता है? इसे समझने के लिए रेपो रेट को जानना बहुत जरूरी है।

रेपो रेट वह दर है जिस पर भारत का केंद्रीय बैंक, यानी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), देश के अन्य वाणिज्यिक बैंकों (जैसे SBI, HDFC, ICICI Bank आदि) को पैसे उधार देता है। इसे ऐसे समझिए कि जब बैंकों को अपने रोजमर्रा के काम के लिए पैसों की जरूरत होती है, तो वे RBI से कर्ज लेते हैं। इस कर्ज पर RBI उनसे जो ब्याज लेता है, वही रेपो रेट कहलाता है।

यह एक तरह से बैंको के लिए एक “न्यूनतम ब्याज दर” की तरह काम करता है। जब रेपो रेट बदलता है, तो इसका सीधा असर बैंकों द्वारा दिए जाने वाले लोन, जैसे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की ब्याज दरों पर पड़ता है।


 

रेपो रेट क्या है? (2025)

क्या आपने कभी सोचा है कि बैंक आपको जो लोन देते हैं, उसका ब्याज दर (interest rate) कैसे तय होता है? इसे समझने के लिए रेपो रेट को जानना बहुत जरूरी है।

रेपो रेट वह दर है जिस पर भारत का केंद्रीय बैंक, यानी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), देश के अन्य वाणिज्यिक बैंकों (जैसे SBI, HDFC, ICICI Bank आदि) को पैसे उधार देता है। इसे ऐसे समझिए कि जब बैंकों को अपने रोजमर्रा के काम के लिए पैसों की जरूरत होती है, तो वे RBI से कर्ज लेते हैं। इस कर्ज पर RBI उनसे जो ब्याज लेता है, वही रेपो रेट कहलाता है।

यह एक तरह से बैंको के लिए एक “न्यूनतम ब्याज दर” की तरह काम करता है। जब रेपो रेट बदलता है, तो इसका सीधा असर बैंकों द्वारा दिए जाने वाले लोन, जैसे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की ब्याज दरों पर पड़ता है।

“रेपो” शब्द का अर्थ ‘पुनर्खरीद समझौता’ (Repurchase Agreement) है। जब बैंकों को अपनी दैनिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पैसे की ज़रूरत होती है, तो वे RBI से उधार लेते हैं। इस प्रक्रिया में, बैंक RBI को सरकारी प्रतिभूतियाँ (Government Securities) बेचते हैं और यह वादा करते हैं कि वे एक निश्चित समय के बाद उन प्रतिभूतियों को एक तय कीमत पर वापस खरीद लेंगे। इसी कीमत के अंतर को रेपो रेट कहते हैं।

रेपो रेट कैसे काम करता है?

जब RBI रेपो रेट बढ़ाता है, तो बैंकों के लिए RBI से पैसा उधार लेना महंगा हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप, बैंक भी अपने ग्राहकों (जैसे आप और मैं) को दिए जाने वाले ऋणों (Loans) पर ब्याज दर बढ़ा देते हैं। इससे ऋण लेना कम आकर्षक हो जाता है और अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति (Money Supply) कम होती है, जिससे महंगाई (Inflation) नियंत्रित होती है।

इसके विपरीत, जब RBI रेपो रेट घटाता है, तो बैंकों के लिए पैसा उधार लेना सस्ता हो जाता है। इससे बैंक भी ग्राहकों को कम ब्याज दर पर ऋण देते हैं, जिससे ऋण लेना आसान हो जाता है। यह अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति को बढ़ाता है और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देता है।

रेपो  रेट  का आप पर क्या असर होता है ?

  • ऋणों पर असर (Loans): यदि रेपो रेट बढ़ता है, तो आपके होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की ईएमआई (EMI) बढ़ सकती है। यदि रेपो रेट घटता है, तो आपकी ईएमआई कम हो सकती है।
  • निवेश पर असर (Investments): रेपो रेट में बदलाव का फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और म्युचुअल फंड जैसे निवेशों पर भी असर होता है। जब रेपो रेट बढ़ता है, तो बैंक अक्सर एफडी पर ब्याज दरें बढ़ा देते हैं।

रिवर्स रेपो रेट क्या है?

रिवर्स रेपो रेट रेपो रेट के ठीक विपरीत है। यह वह दर है जिस पर RBI व्यावसायिक बैंकों से पैसा उधार लेता है। यह अतिरिक्त तरलता (Excess liquidity) को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किया जाता है जब बैंकों के पास बहुत अधिक पैसा होता है।

सारांश में, रेपो रेट वह टूल है जिसका उपयोग RBI महंगाई और आर्थिक विकास के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए करता है। यह एक महत्वपूर्ण संकेतक है जो सीधे तौर पर आपकी वित्तीय योजनाओं और खर्चों को प्रभावित कर सकता है।

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